भाग २० — शंकर प्रणाम किए श्री राम
प्रकाशित: 27 अक्टूबर 2025
प्रथम खंड
हिन्दी
जय जय श्री सीता राम।
हर हर महादेव बोलो,
शिव शक्ति की, जय।
शिव शक्ति की जय बोलो!
शिव शक्ति की जय!
एक समय की बात सुहानी,
त्रिभुवन में जो, विचरें, शम्भू भवानी।
नंदी सवार, रुद्र संग सती भवानी,
पृथ्वी पर विचर, रहे स्वामी।।
सागर–गगन भ्रमण, करते शंकर, भवानी,
दण्डकारण्य पहुँचे, जगत के स्वामी।
शोभा वन की बड़ी प्रकाशी,
सती को दर्श करायें, अविनाशी।।
शिव ने देखा, रघुनंदन प्यारे,
संग लखन वन, में दुखियारे।
खोज रहे राम, सिया प्यारी,
दुष्ट रावण हर ले गया, अहंकारी।।
“हा सिये!” पुकारें रघुनंदन,
व्याकुल हृदय, व्यथित तन मन।
वन-वन खोजत, दृष्टि विचारे,
नयन थे बहते, विरह के मारे॥
विरह-वेदना में डूबे रघुनंदन,
प्रेम का सागर बना हृदय मंदन।
सिया पुनः पाने की, थी अभिलाषा,
हर श्वास बनी अब, व्यथा की भाषा।
वृक्षों से पूछें, पवन से बोलें,
“देखी क्या सिया?” – आँसू बोलें।
“देखी क्या सिया?” – आँसू बोलें।
“देखी क्या सिया?” – आँसू बोलें।
नदी, पवन, पक्षी सब सुनते,
राम पुकारें, वन रो उठते।
जो सर्वज्ञ विधाता, बने अज्ञाता,
प्रेम के वश से, कुछ ना भाता।।
बुद्धि चकरा दी प्रेम ने सारी,
प्रेमी विरह हुआ, विवेक पे भारी।।
सूर्यवंशी वीर हैं जो,
दशरथ नंदन,
धरती के राजा हैं जो।
आनंद रहित, विरह की भ्रांति,
फीकी पड़ी, उनकी कांति।।
उस समय शंकर, कृपालु स्वामी,
देखे राम, तपस्वी ध्यानी।
लखन सहित, श्री राम को,
प्रसन्न शिव ने, किया प्रणाम।
जय जय कार, बुलाके शिव ने,
दूसरी और किया प्रस्थान।।
बोलो सिया वर राम चंद्र की जय।।।
बोलो सिया वर राम चंद्र की जय ।।।
बोलो सिया वर राम चंद्र की जय ।।।
भक्त वत्सल शंकर, ना दर्श दिखाए राम।
शंकर दोबारा, ना दर्श दिखाए राम।
हर हर महादेव बोलो,
शिव शक्ति की, जय।
हर हर महादेव बोलो,
शिव शक्ति की, जय।
हर हर महादेव बोलो,
शिव शक्ति की, जय।
हर हर महादेव बोलो,
शिव शक्ति की, जय।
शिव शक्ति की जय बोलो!
शिव शक्ति की जय!
जय जय श्री सीता राम।।।
जय जय श्री सीता राम।।।
जय जय श्री सीता राम।।।