भाग १२ — वक्ता वंदना
प्रकाशित: 29 जुलाई 2025
प्रथम खंड
हिन्दी
जय जय श्री सीता राम
जय जय श्री सीता राम
जय जय श्री सीता राम
जिनके मुख से कथा बहे
हरि-लीला गाथा, सदा कहें
सभी वक्तन को, वंदन करूँ
हृदय से कोटि, प्रणाम करूँ
धन्य वो मुख, धन्य वो वाणी
जो रहती, श्री हरि गुण बखानी
प्रभु ने जिनको, स्वयं चुना
हरि कथा हेतु, उनको चुना
श्रोताओं के मन को पावन करें
राम नाम से, हर्षित करें
करुणामय वक्ता हैं जो
हरि-सेवक कहलाते जो
उनके चरणों में प्रणाम,
बारम्बार प्रणाम
बारम्बार प्रणाम
प्रथम नमन, उन मुनि को
जो कथा बखानी, महादेव को
हृदय से उनका स्मरण करूँ
कुंभज मुनि को नमन करूँ
नमन उन वक्ताओं को
कथा कहें जो हरि गुण को
हर युग में जो हरि गुण गायें
राम नाम को जग में लायें
उनके चरणों में प्रणाम,
बारम्बार प्रणाम
बारम्बार प्रणाम
धन्य उनका जीवन, ये हृदय कहे
कलयुग माहि, जो हरि कथा कहें
मन के मंदिर, दीप जलाएं
रामकथा से ज्योति लुटाएं
उनके गुणगान करें सुबह शाम
जय जय श्री सीता राम
उनको बारम्बार प्रणाम,
बारम्बार प्रणाम
जय जय श्री सीता राम
जय जय श्री सीता राम
जय जय श्री सीता राम