श्री रामायण गान

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भाग १३सत्संग गुणगान

प्रकाशित: 29 जुलाई 2025

प्रथम खंड

हिन्दी

जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम


सत्संग रत्न अनूप है,

जीवन को दे स्वरूप है।

बिन कृपा ना पाय कोई,

यह तो हरि का रूप है।


सत्संग रत्न अनमोल है,

ना इसका कोई तोल है।

कोटि पारस मोल दें,

फिर भी यह अनमोल है।


सत्संग वचन जो जीव जिए,

हर क्षण प्रभु गुण गान किए।

वह जीवन ही तीर्थ बन जाए,

वहाँ कृपा प्रभु की छाए।


जल मिले तो प्यास ना रहें।

ज्ञान बहे तो मोह ना रहें।

नम्रता हो तो द्वेष ना रहें।

सत्संग हो तो विकार ना रहें।।


कृपा बिना सत्संग न आये,

मन में वो न दीप जलाये।

राम कृपा बिन द्वार न खुले,

बिन उस जोत, माया ना ढले।


सूर्य उगे अंधकार ना ठहरे।

वर्षा गिरे तो धूल ना ठहरे।

गुरु मिलें तो भ्रम ना ठहरे।

सत्संग हो तो पाप ना ठहरे।।


जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम