श्री रामायण गान

सरल हिंदी भाषा में श्रीरामायण की अद्वितीय प्रस्तुति

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भाग १४वेद वंदना

प्रकाशित: 29 जुलाई 2025

प्रथम खंड

हिन्दी

जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम


अमृत तन को अमर करे,

वेद आत्मा ब्रह्मलीन करे।

अमृत देह की रक्षा करे,

वेद धर्म की रक्षा करे।


अमृत मरण से दूर करे,

वेद जनम-चक्र नष्ट करे।

अमृत एक ही बार मिले,

वेद सुधा क्षण-क्षण बरसे।


वेद खोलें, धर्म द्वार

शब्दों में छिपा, ब्रह्म विचार

माया हटे, जब श्रवण होवे

ज्ञान जगे, अज्ञान खोवे


वेदों में छुपा हर समाधान,

जीवन-मार्ग का सच्चा ज्ञान।

धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष की राह।

वेदों से मिटे अज्ञान की छाँह।


वेद जो जन मन में बसाए,

ज्ञान दीप हर दिशा जलाए।

सहज अधिकारी वह बन जाए,

सिद्धियाँ उसके चरण छूने आयें।


वेद सुनै जो प्रेम से, जीव बने अज्ञान हीन।

जैसे सूरज दीप दे, मिटे तिमिर पहर तीन।


वेद वाणी जो जीवन लाए,

पथ से प्राणी कभी न डगमगाए।

वेद ज्ञान जिस मन में हो,

दुर्गति वहाँ निकट न आए।


वेद ध्वनि जो कानन गूंजे,

पाप योनियाँ राह से बूझे।

प्रेत से उठ देव बनाए,

राम धाम की ओर ले जाए।


समस्त वेद, शास्त्रों, पुराणों को प्रणाम करूँ

बारम्बार प्रणाम करूँ

बारम्बार प्रणाम करूँ


जय जय, ब्रह्मपुराण,


जय जय, पद्मपुराण,


जय जय, विष्णुपुराण,


जय जय, शिवपुराण,


जय जय, श्रीमद्भागवत पुराण,


जय जय, नारदपुराण,


जय जय, मार्कण्डेय पुराण,


जय जय, अग्निपुराण,


जय जय, भविष्यपुराण,


जय जय, ब्रह्मवैवर्त पुराण,


जय जय, लिंगपुराण,


जय जय, वराहपुराण,


जय जय, स्कन्दपुराण,


जय जय, वामनपुराण,


जय जय, कूर्मपुराण,


जय जय, मत्स्यपुराण,


जय जय, गरुड़पुराण,


जय जय, ब्रह्माण्डपुराण,


जय जय, श्रीमद् देवीभागवत पुराण,


बोलो, समस्त वेद, शास्त्रों , पुराणों की जय हो, जय हो


जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम