श्री रामायण गान

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भाग ३महर्षि वाल्मीकि, श्री गोस्वामी तुलसीदास वंदना

प्रकाशित: 28 जुलाई 2025

प्रथम खंड - मंगलाचरण

हिन्दी

जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम

कवियों में, उत्तम कवि हो आप

भविष्य को भी, जानो आप

श्री सीता राम के, भक्त हो आप

निर्मल मन वाले, हो आप

मति आपकी, शुद्ध ना होती

रामायण रचना कैसे होती

पावन कथा, श्री रामायण की

आपने जो है, रचना की

कल्याण उसका करती जाये

जो जो पढ़े यां, सुनता जाये

वाणी आपकी सत्य धारा

जो लिखा, पूरा हुया व्ह सारा

उल्टा प्रभू का, नाम जपा

उसका भी उत्तम, फल हुआ

वाल्य से वाल्मिकी नाम हुआ

महारिषि फिर नाम हुआ

महार्षि वाल्मिकी का, हो जयगाण

आपको बारम्बार प्रणाम

बारम्बार प्रणाम

बारम्बार प्रणाम

।। श्री गोस्वामी तुलसीदास वंदना ।।

श्री तुलसीदास को नमन करूँ

जो विनय सिंधू, गुणगान करूँ

विनम्रता, की मूरत महान

काव्य जगत के अमिट प्राण

शब्दों से जो दीप जलाए

मन में श्री राम को बसाये

जिनकी वाणी अमृत समान

सुनते जाओ, होवे ना थकान

हर पंक्ति में भक्ति समाये

पड़ते सुनते, अन्तर्मन हर्षाये

कलिकाल में जो, दीप बने

पाप अंधकार, जो भस्म करे

अध्बुत रचना कर गए

जन कल्याण वो कर गए

जय हो तुलसी, भक्त महान,

राम-भक्ति के आप प्रमाण।

ज्ञान-विवेक की धारा आप,

मन-चेतन का सहारा आप

मन को जो पावन कर जाएं,

राम कथा में लीन कराएं।

शब्द आपके, दीपक जैसे,

अंधकार को, जो हर लेते।

श्री तुलसीदास को कोटि प्रणाम,

राम भक्तों में सर्वोत्तम नाम।

बारम्बार प्रणाम करूँ,

हृदय से उनको नमन करूँ।

श्री तुलसीदास जी का हो जयगाण

उनको बारम्बार प्रणाम

बारम्बार प्रणाम

बारम्बार प्रणाम

जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम

जय जय श्री सीता राम